यदि महान जागतिक लक्ष्य में हम सफलता प्राप्त
करना चाहते हैं तो हमें प्रथम अपना उदाहरण प्रस्तुत करना होगा। हमें विदेशी
वादों की मानसिक श्रृंखलाओ और आधुनिक जीवन के विदेशी व्यवहारों तथा अस्थिर
'फैशनों' से अपनी मुक्ति कर लेनी होगी। परानुकरण से बढ़कर राष्ट्र की अन्य
कोई अवमानना नहीं हो सकती। हम स्मरण रखें कि अन्धानुकरण का अर्थ प्रगति
नहीं होता। वह तो आत्मिक पराधीनता की ओर ले जाता है।
- श्री गुरूजी
- श्री गुरूजी
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