Tuesday, 12 August 2014

‘‘नक्सलवाद: एक अराष्ट्रीय चिंतन“- अभाविप

नक्सलियों ने भी सदैव ही जनजाति लोगों का शोषण किया हैं। आज भी वे उन पर लगातार अत्याचार कर रहें हैं। आज का युवा वर्ग यदि कुछ गांवों को गोद लेकर उनके समग्र विकास की चिंता करे तो निष्चित रूप से आदिवासियों के जन - जीवन मेें परिवर्तन आ सकता हैं, और वंनांचल का क्षेत्र फिर से अपनी खोई हुई शांति प्राप्त कर सकता हैं। यह उदगार भोपाल में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद द्वारा ‘‘नक्सलवाद: एक अराष्ट्रीय चिंतन“ विषय पर आयोजित अखिल भारतीय कार्यशाला (11-12 अगस्त 2014) के उदघाटन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुये सेवानिवृत न्यायमूर्ति वी.के अग्रवाल ने कही।

कार्यशाला का समापन आज 12 अगस्त 2014 मंगलवार को सम्पन्न हुआ। कार्यशाला के समापन के अवसर पर विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय संगठन मंत्री श्री सुनील आम्बेकर ने प्रतिनिधियों को ध्यान दिलाया कि विचार धाराओं का संघर्ष सदैव चलता रहा हैं, हम मनुष्य को स्वतंत्र और चेतना सम्पन्न देखना चाहते है। हम उसे मशीन नही बनने देंगे। वह राज्य की दासता स्वीकार नही कर सकता। माओवादी व नक्सली हमेशा ही मनुष्य को मशीन की तरह इस्तेमाल करना चाहते हैं। वे माओ के विचार के आधार पर भारत की सत्ता पर कब्जा करने का स्वप्न देख रहे है, जिसे देश की युवा पीढी किसी भी कीमत पर सफल नहीं होने देगी।

कार्यशाला में अलग - अलग राज्यों से आये हुये युवा प्रतिनिधियों ने चर्चा, परिचर्चा, भाषणों और प्रश्न -उत्तर के माध्यम से दो दिनों तक अलग अलग सत्रों में विचार विमर्श किया और माओंवादी प्रेरित नक्सलवादी विचार धारा और उनकी गतिविधियों के बारे में समझते हुए ऐसी अराष्ट्रीय विचारधारा को ख़त्म करने के प्रयासों पर बल दिया है। इस कार्यशाला के अलग अलग सत्रों में अन्य वक्ताओं के रूप में श्री रविरंजन सेन, श्री दीपांशु काबरा, श्री दीपक अधिकारी, श्री रमेश अय्यर, श्रीमती अनुराधा शंकर सिंह, श्री जी. लक्ष्मण आदि ने भी अपने विचार रखे।


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