जिन उद्देश्यों को लेकर हम
चलना चाहते है, उनमे न किसी प्रकार का दोष है न किसी प्रकार का पाप |
शिक्षा के भारतीयकरण और राष्ट्र की रक्षा हेतु छात्र शक्ति को रचनात्मक
कार्योप के माद्यम से प्रेरित करने का बीड़ा हमने उठाया है | इसमें कौन सा
पाप है ? साथ-साथ हम यह भी न भूले कि यह विशाल कार्य किसी भी एक छात्र या
चन्द छात्रो के हाथो संपन्न होने वाला नहीं है, उसके लिए तो एक ही धेय्य
से प्रेरित लाखो, करोड़ो छात्रो के संगठित प्रयत्नों की आवश्यकता है | इस
विशाल भारत के कोने-कोने में ऐसे धेय्यनिष्ठ और बलवान छात्रो के
विद्यार्थी परिषद् का घना जाल फैला दो, फिर इस कार्य में कोई कठिनाई न
होगी |
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