Saturday, 29 March 2014

कभी आप ऐसे बगीचे में जाना पसंद करेंगे जहा सिर्फ गुलाब के ही फूल हो ,या सिर्फ गेंदे के ही फूल हो ,नहीं ना | बगीचा बनता है अनेको प्रकार के फूलो से ,उन सब के एकत्रित महक से बगीचा लोगो को आकर्षित करता है | हमारा समाज भी उसी बगीचे जैसा है ,सिर्फ एक ही प्रकार कि विचारधारा यहाँ हो ,ऐसा सोचना निरंकुशता होगी , अलग अलग विचार जिनका अंतिम ध्येय विश्व कल्याण है मिलकर इसे सुन्दर बनाते है ,मनुष्य के रहने योग्य बनाते है |

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