सादे-सादे व्यवहार में स्वयंसेवकत्व प्रकट होना चाहिए. चौक में लाल बत्ती लगी है, फिर स्वयंसेवक का वाहन रुकना ही चाहिए. टिकट निकालना है, उसने कतार में खड़ा होना ही चाहिए. घर में शादी है तो दहेज आदि से अलिप्त रहना ही चाहिए. कारखाना हो या कार्यालय, काम पूरी ताकद और विशुद्ध प्रामाणिकता के साथ उसने करना चाहिए. शिक्षक है, तो उसने सही तरीके से पूरी तैयारी कर सीखाना चाहिए. मेरा विद्यार्थी, मैं जो विषय पढ़ाता हूँ उसमें कभी अनुत्तीर्ण नहीं होगा, ऐसी उसकी वृत्ति होनी चाहिए. इसके लिए अधिक मेहनत आवश्यक होगी, तो वह भी उसने करनी चाहिए. वह दुकानदार होंगा, तो उसके दुकान में का सामान मिलावट रहित, सही वजन और योग्य किमत का ही होना चाहिए. कारखानेवाला होगा, तो उसके कारखाने में बनने वाला माल श्रेष्ठ दर्जे का ही होना चाहिए. इन सामान्य बातों से वह स्वयं की ही केवल प्रतिष्ठा और गौरव नहीं बढ़ाता, तो संघ की मतलब देश की भी प्रतिष्ठा और गौरव बढ़ाता है.
No comments:
Post a Comment